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 दर्शन-पाठः - दर्शनं  देवदेवस्य दर्शनं  पापनाशनम्
दर्शनपच्चीसी - तुम निरखत मोंको मिली, मेरी सम्पति आज
  मंगल गान  - हे ! शान्त सन्त अरहन्त अनन्त ज्ञाता, आचार्य श्री विद्यासागर द्वारा रचित
 दर्शन स्तुति - कविवर दौलतराम
दर्शन-स्तुति - अति पुण्य उदय मम आया
दर्शन - स्तुति - प्रभु पतित-पावन मैं अपावन
 देव-स्तुति - अहो! जगतगुरु! एक सुनिए अरज हमारी